Shiv chaisa Secrets
Shiv chaisa Secrets
Blog Article
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
अर्थ: हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर (तरकासुर के तीन पुत्रों ने ब्रह्मा की भक्ति कर उनसे तीन अभेद्य पुर मांगे जिस कारण उन्हें त्रिपुरासुर कहा गया। शर्त के अनुसार भगवान शिव ने अभिजित नक्षत्र में असंभव रथ पर सवार होकर shiv chalisa in hindi असंभव बाण चलाकर उनका संहार किया था) के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व shiv chalisa lyricsl सब पर अपनी कृपा की। हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
जय Shiv chaisa जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥